शनिवार, 16 अगस्त 2014

सोशल मीडिया कितना सोशल??



क्या कभी सोशल मीडिया के बारे में सोचा है? मसलन, यह क्यों बना और और किस सिद्धांत पर काम करता है? लैपटॉप-कंप्यूटर से लेकर स्मार्टफोन तक के जरिये फेसबुक-ट्विटर से जुड़े रहने वाले आप सोच रहे होंगे कि यह कितना फालतू सवाल पूछा गया है। आज दुनिया संचार के हजारहां माध्यमों का इस्तेमाल पता नहीं किन-किन सूचनाओं और भावनाओं के संप्रेषण के लिए कर रही है और आप हैं कि जड़ें ढूंढने में लगे हैं।
पूरा का पूरा सोशल मीडिया तुलनात्मक उत्कृष्टता और विशेषज्ञता के सिद्धांत पर काम करता है। सालों पहले आया एक डिटर्जेंट का विज्ञापन याद तो होगा आपको। एक महिला दूसरी को देखकर हतप्रभ होती है और कहती है ‘उसकी साड़ी, मेरी साड़ी से सफेद कैसे?’ इसी सवाल में छिपा है सोशल मीडिया का सच। आज के दौर में हर इंसान इसी फितरत में लगा है कि वह कैसे साबित करे कि वह दूसरों से सुंदर, अच्छा, धनवान, बलवान और ज्ञानवान है। यही भावना उसे सोशल मीडिया पर एक्टिव बनाती है। आप रोज देखते होंगे कि लोग अपने जीवन की छोटी से छोटी घटना को सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। एकसाथ सैकड़ों लोगों तक अपने बारे में जानकारी पहुंचाने का यह बेशक सशक्त माध्यम हो, लेकिन विचार इस पर भी करना होगा कि सूचनाएं कैसी हों। आज मैं पार्क में गया था, एज्वाइंग आइसक्रीम विद माई फैमिली, इट इज रेनिंग इन माई सिटी, ब्राट ए न्यू स्कार्फ वगैरह-वगैरह। सवाल यह कि इन सूचनाओं या जानकारियों का किसी दूसरे व्यक्ति के लिए क्या कोई मतलब होता है। फिर भी लोग लाइक करते हैं और एक से बढक़र एक सतही और सस्ते कमेंट भी लिखते हैं। क्या यही सामाजिकता है और इसी रूप में लोग अपनों के साथ करीबी महसूस करते हैं। सोशल मीडिया पर देशकाल को लेकर भी हर व्यक्ति अपनी राय जाहिर कर रहा होता है, उस पर बहसें होती हैं, कुछ अच्छी-बुरी बातें कही जाती हैं, लेकिन क्या यह सच में होता है। मेरी यह स्पष्ट राय है कि लोग केवल अपने को या अपनी बातों को साबित कराने की चेष्टा कर रहे होते हैं, क्योंकि यह उनको ‘मेरी साड़ी ज्यादा सफेद’ होने की संतुष्टि प्रदान करता है। बहुत कम ही मौके होते हैं जब कोई अपनी सच्ची भावना व्यक्त करता है और कोई मित्र उसे शिद्दत से महसूस करता है। (याद रखें कि सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर सभी फ्रेंड होते हैं।) अगर किसी ने कोई गंभीर बात कही भी तो कमेंटों और शेयरों के चक्कर में उसकी गंभीरता की भद्द पिटना तय है। तो क्या किसी काम का नहीं है सोशल मीडिया???
सोशल मीडिया में कनेक्शन की गजब ताकत है। हमें याद रखना होगा कि 16 दिसंबर की घटना के बाद दिल्ली की सडक़ों पर युवाओं का हुजूम यूं ही नहीं उमड़ा था। दर्द और आक्रोश से भरे मन को एकजुट करने में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका थी। देश-दुनिया में चर्चित अन्ना का आंदोलन हो या केजरीवाल का सियासी सफर- सोशल मीडिया की ताकत से इनकार नहीं किया जा सकता। यह इस माध्यम का सबसे सकारात्मक उपयोग था, लेकिन आम जीवन में हम इसका कैसे और किन प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल करते हैं। भारत जैसे देश में सोशल मीडिया की यह ताकत एक खतरे का संकेत भी है। हाल ही में हमने देखा कि उत्तर प्रदेश में हुई कुछ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के पीछे जो अफवाह काम कर रही थी वह सोशल मीडिया के जरिये फैलाई गई थी। किसी ने एक सुनी-सुनाई बात पोस्ट कर दी और सैकड़ों-हजारों लोगों ने बिना सोचे-समझे उसे साझा कर दिया। जहां यह होड़ मची हो कि सूचनाओं के मामले में भी मेरी गति दूसरों के मुकाबले अधिक है, वहां सोचने-समझने की फुरसत किसे है? सोच-विचार में दो मिनट भी देर हुई तो अपने ‘मित्रों’ से पीछे छूट जाएंगे। नतीजा कितना गंभीर निकला यह हम सब जानते हैं।
दूसरी समस्या है सरकारी और विधायी स्तर पर। भारत में इंटरनेट और सोशल मीडिया को लेकर स्पष्ट और ठोस कानून बनाए जाने की मांग तो उठ रही है, लेकिन इस दिशा में प्रयास की गति काफी कम है। समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचने या अपने स्वार्थ के लिए अफवाहें फैलाने वाले भी जानते हैं कि इस माध्यम का किस तरह से बेजा इस्तेमाल कर वह अपने मंसूबों में कामयाब होंगे और कानून के फंदे से बचे भी रह सकेंगे। साइबर लॉ के बारे में हमारे देश में जागरूकता शून्य के आसपास ही है। और जिस पुलिस को साइबर अपराध की जांच का जिम्मा दिया जाता है उसकी तकनीकी जानकारी का स्तर किसी से छिपा नहीं है। महानगरों में तो पुलिस ने साइबर सेल स्थापित भी किए हैं, लेकिन छोटे कस्बों और गांवों तक पैर पसार चुके इंटरनेट के जरिये अपराध को रोकने की कोई संरचना हम नहीं बना पाए हैं। अगर यही रफ्तार रही तो अगले कुछ दशकों तक इसकी संभावना भी नहीं है। तब तक कानूूनी तौर पर नियमन की बात तो आप भूल ही जाएं। ऐसे में इंटरनेट से लेकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों के पास स्वनियमन का ही रास्ता बचता है। हमें खुद अपनी सुरक्षा और वैयक्तिकता को बचाने के लिए सजग होना होगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें