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| नवोदय टाइम्स के 10 नवंबर 2014 के अंक में प्रकाशित खबर। |
मोदी कैबिनेट में बिहार के तीन नेताओं को जगह
मोदी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में बिहार के तीन नेताओं को जगह दी गई है। सारण से सांसद और पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री राजीव प्रताप रूडी की केंद्रीय कैबिनेट में यह दूसरी पारी है तो राजद अध्यक्ष लालू यादव के हनुमान माने जाते रहे रामकृपाल यादव को अपनी पार्टी से बगावत और फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह को मोदीभक्ति की ईनाम मिला है। इन नेताओं को कैबिनेट में स्थान दिए जाने के पीछे भाजपा की बिहार को लेकर रणनीति साफ झलक रही है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। तीनों नेता तीन अलग-अलग जातियों से संबंध रखते हैं और बिहार जहां जातिवाद की जड़ें काफी गहरी हैं, इसके काफी दूरगामी मायने हैं।
भाजपा से नाता तोडऩे के बाद बिहार में सत्तारूढ़ जदयू ने धुर विरोधी राजद से हाथ मिला लिया है। बिहार के सियासी समर की तैयारी में अब तक अकेले जुटी भाजपा ने कैबिनेट विस्तार के माध्यम से कई निशाने साधने की कोशिश की है। रामकृपाल यादव को मंत्री बनाने के पीछे रणनीति राज्य में प्रभावशाली यादव वोटबैंक में सेंध लगाने की है। बिहार में यादव समुदाय वोटों में 12 फीसदी से अधिक की भागीदारी रखता है। पिछले लोकसभा चुनाव में रामकृपाल ने लालू की बेटी मीसा भारती को मात दी थी। ऐसे में यादव वोटों पर उनकी पकड़ गहरी मानी जा रही है। लालू से विद्रोह और मीसा को पराजित करने का ईनाम उनको मंत्रीपद के रूप में मिला है। रामकृपाल इससे पहले राज्य में भी मंत्री नहीं रहे हैं। पाटलीपुत्र से राजद टिकट नहीं मिलने से खफा रामकृपाल ठीक चुनाव से पहले अपने गुरु लालू से अलग हो गए थे। वह भले ही भाजपा से पहली बार सांसद बने हों लेकिन चुनावी राजनीति में नौसिखिए नहीं हैं। मई 2014 के आम चुनाव के जरिए उन्होंने लोकसभा में चौथी बार प्रवेश किया है। पिछले तीन चुनाव उन्होंने राजद के टिकट पर जीते थे।
लोकसभा चुनाव में लालू की मैदान में अनुपस्थिति में परिवार की मुख्य सेनापति राबड़ी देवी को सारण सीट से परास्त करने वाले राजीव प्रताप रूडी राजपूत जाति से संबंध रखते हैं। भाजपा का परंपरागत वोटबैंक माने जाने वाले मध्यवर्ग और अगड़ी जातियों में राजपूतों का खासा प्रभाव है। वर्ष 2001 में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रूडी को पहली बार वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री बनाया गया था। दो साल बाद उन्हें नागर विमानन मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। भाजपा के महाराष्ट्र प्रभारी और महासचिव रूडी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ काम किया है और मंत्रिपरिषद में उन्हें शामिल किया जाना उनकी कड़ी मेहनत का पुरस्कार माना जा रहा है।
अपने तेजतर्रार और कई बार विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाने वाले गिरिराज सिंह भूमिहार समुदाय से हैं। मंत्रिपरिषद में अभी तक नुमाइंदगी नहीं मिलने से यह समुदाय निराश महसूस कर रहा था। नवादा से पहली बार सांसद चुने गए गिरिराज मोदी के लंबे समय से वफादार रहे हैं और मोदी के प्रति बैर भाव रखने वाले नीतीश कुमार से टकराव मोल लेते रहे हैं। गिरिराज को मंत्री बनाने के पीछे भाजपा की मंशा राज्य में प्रभावशाली भूमिहार समुदाय को रिझाने की है। केंद्रीय कैबिनेट में भूमिहार जाति से एक मंत्री मनोज सिन्हा पहले से हैं, लेकिन लेकिन वह उत्तर प्रदेश से हैं और बिहार में उनका बहुत कम प्रभाव है।
विवादों से पुराना नाता है गिरिराज काबिहार में पशुपालन मंत्री रहे गिरिराज सिंह अपने विवादास्पद बोलों के कारण चर्चा में रहते आए हैं। इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने यह कहकर पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी कि मोदी को पसंद नहीं करने वालों को पाकिस्तान चला जाना चाहिए। उस समय मोदी ने गिरिराज को कड़ी फटकार लगाई थी। अपने घर से एक करोड़ रुपए की चोरी के बाद भी वह सुर्खियों में रहे थे। गिरिराज ने प्रदेश की राजनीति के दो बड़े दिग्गज नीतीश और लालू को एक बार शिखंडी तक कह डाला था। सितंबर 2013 में एक सभा को संबोधित करते हुए गिरिराज सिंह 2014 के चुनाव के बारे में कहा था कि अब देखना है कि नीतीश और लालू दोनों में से कौन शिखंडी साबित होता है।

